Friday, February 4, 2011

जिंदगी

जिंदगी
मुझसे रूठ
भागती जा रही है
समय अब और
इन्तजार ना कर रहा है
शरीर टूट - टूटकर
छलनी हुए जा रहा है
सांसें भी अब कम
होती जा रही हैं
मौत की इन वादियों में
चिरकालीन सो जाना चाहती हैं
फिर तुम मुझसे रूठ
क्यों -
दूर चले जाना चाहते हो
मेरी जिंदगी
एक तूफान में
बार - बार तिनका बनकर
उड़ जाना चाहती है
शायद -
मुझसे रूठ चुकी है
आज यह जिंदगी मेरी !

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