दिल की गहराईयों में बस गई
दिल के हर चैम्बर में घर कर गई
दिल के आईने में जड़वत रह गई
खुशनुमा तस्वीर आईना बन गयी
मेरे दिल के तारों को झनझना गई !
बदल कर गमगीन ना कर इसे
एक घोर आशंका की विषुद आह सी
ना कर अब इसे-
गम सता रहा है क्या मेरे हमदमतेरी तस्वीर ग़मगीन रह गई
मेरी सांसे गतिहीन हो गई
खबर है क्या तुझे -
सांसों में तेरे बस्ती है मेरी सांसे
नही क्यों करते इन ग़मों में
शरीके-हयाते इस दिलरुबा को
हम तो घिरें रहते हैं
तुम्हारी यादों के दायरे में
जीतें हैं तुम्हारे ख्यालों में
मरतें है तुम्हारे ख्यालों में
रहतें हैं शेष अब
एक ही मन के द्वारे
एक ही मन की पगडण्डी
फिर दूरियों का मापदंड कैसा
पथिक का पथ अब सूना कैसा
इन ग़मों का दौर अब कैसा !
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