Monday, January 31, 2011

बंधनमुक्त

Power Divine Feminine



















तुम
विचित्र हो
अदभुत हो
मेरी सोच से परे हो
मेरे मुकाम से परे हो
तुम-
पागल, अनुबंधित
मूर्खता में पड़े रहकर
बंधन में बंधे रहकर
उसके रहस्य से अनजान हो
तुम -
जिन्दा निर्जीव हो
खुद से बेखबर हो
सृष्टी के नियम से अन्जान हो
तुम अज्ञानी हो
जनता का कल्याण कर
गौरव पाने की लालसा में जीते हो
अपने जिस्म से बंधनमुक्त होना चाहते हो
हरेक बंधन से मुक्त किया अब मैंने
भावों का बंधन खत्म किया
शरीर का बंधन तोड़ दिया
तुम चिरकालीन बंधनमुक्त हो गए
तुम तुम ही रह गए
मैं मैं ही रह गई !


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