Tuesday, January 18, 2011

मैं कौन हूँ ?


मैं कौन हूँ ?
एक प्रश्नवाचक चिन्ह
मेरा अस्तित्व्य
धूल से भरा हुआ
आग के अंगारों की तरह
चटक-चटक कर बिखर रहा है
एक अनजाने से पथ पर
मेरी लाश की शिनाख्त
ना कर पायेगा कोई
मेरी जिंदगी-
एक शून्य से घिरी हुई
इन तन्हाईयों में खोई हुई
चली जा रही है
एक अन्जाने से पथ पर
ना लौट आने को फिर कभी !

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