आँखों से आंसू झलके जाये
रोकना चाहूँ रुक ना पाएं
घडी आई अब अंत समय की
मान लो अब बतियाँ मन की
छोड़ दो हर पल का अब गुस्सा
ईर्ष्या, द्वेष
और-
यह झगडा मन का
ज्ञानी बनकर
दीप जलाकर
ज्योत जगाकर
फैला दो जग में प्रकाश उजियारा
कर दो मेरा सपना पूरा
बदले में ना देना मुझको
एक भी पल का हिस्सा अपने
जीवन अपना सफल बनाना
कर देना जग में दिव्य उजाला !
रोकना चाहूँ रुक ना पाएं
घडी आई अब अंत समय की
मान लो अब बतियाँ मन की
छोड़ दो हर पल का अब गुस्सा
ईर्ष्या, द्वेष
और-
यह झगडा मन का
ज्ञानी बनकर
दीप जलाकर
ज्योत जगाकर
फैला दो जग में प्रकाश उजियारा
कर दो मेरा सपना पूरा
बदले में ना देना मुझको
एक भी पल का हिस्सा अपने
जीवन अपना सफल बनाना
कर देना जग में दिव्य उजाला !
No comments:
Post a Comment